बुधवार, 21 मार्च 2007

मैंनें देखा बन के पंछी…….

मैंनें देखा बन के पंछी ,
नीलगगन में उड़ के देखा ।

मैंनें देखा बन के किरणें ,
चारों और बिखर के देखा ।

मैंनें देखा बन के धारा ,
साहिल से मिल बिछड़ के देखा ।

मैंनें देखा बन के महक ,
फुलों के घर में बस के देखा ।

मैंनें देखा बन के सपना ,
आंखों से मोती जैसे झर के देखा ।

मैंनें देखा पा के सब कुछ ,
सब कुछ मैनें को के देखा ।

मैंनें देखा इतना सब कुछ ,
पर कोई ना अपने जैसा देखा ।

फिर बन के देखा आईना तो ,
सबको अपने जैसा देखा…………..





Hemjyotsana Parashar
http://www.hemjyotsana.wordpress.com
http://www.hemjyo.wordpress.com